Saturday 16 May 2020

करैत : पशुओं का काल


बारिश की शुरुआती दिनों में यदि आपको अपने गौशाला में सुबह-सुबह पशु गिरा पड़ा हुआ झाग उगलता नजर आए तो करैत सर्प दंश भी इसका एक कारण हो सकता है। इसकी न्यूरोटोक्सीन पशु की फेशियल मसल्स को पैरालाइज कर देती है जिससे यह मुंह चलाने में भी असमर्थ हो जाता है। धीरे धीरे रेस्पिरेटरी पैरालाइसिस की स्थिति आ जाती है और पशुओं की मृत्यु इसी कारण से हो जाती है। हो सकता है यह सांप घायल या मरी हुई अवस्था में आपको गौशाला के अंदर या निकट मिल जाएगा। इसकी याहल हालत इसके शिकार पशु के साथ भिड़ने के कारण हो जाती है।

करैत भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य तौर पर पाए जाने वाला एक प्रमुख विषैला सांप है। इस सांप का दंश बहुत कम पीड़ादायक होता है और सूजन भी नाममात्र की ही होती है। व्यक्ति या पशु को शुरुआत में इसका ज्यादा असर महसूस नहीं होता। लेकिन दो ढाई घंटे के बाद जब न्यूरोटोक्सीन अपना असर शुरू करता है तो पेट में मरोड़ तथा चेहरे की मांसपेशियों में लकवा शुरू हो जाता है। धीरे धीरे श्वास की मांसपेशियां भी लकवा ग्रस्त होने के कारण शिथिल पड़ जाती हैं और श्वसन क्रिया बंद होने लगती है जिससे पशुओं की मृत्यु हो जाती है।

करैत सांप निशाचर होता है। दिन में यह सुस्त पड़ा रहता है और किन्ही झाड़ियों के पीछे छुपा होता है। रात में या काफी सक्रिय हो जाता है और अपने शिकार की तलाश करता है। इसका भोजन मुख्यतः छोटे चूहे, सांप , छिपकली, कीड़े मकोड़े इत्यादि होते हैं। अपने ही प्रजाति के छोटे सर्पों को भी यह खा जाता है। बारिश के दिनों में अक्सर या सूखे स्थान की तलाश में गौशालाओं में घुस जाताा है और जाने अनजाने में पशु इसके शिकार बन जाते हैं। इसमें मृत्युुुुुु दर 70 से 80% तक है। 

इसके इलाज के लिए तुरंत पॉलीवैलेंट स्नेक एंटी वेनम दिया जाए तो पशु की जान बचाई जा सकती है। भारत में या anti-venom हर जगह उपलब्ध होता है। इसके अतिरिक्त एंपीसिलीन एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जा सकता है।


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